माता के गुप्त नवरात्रे
वर्ष में चार बार मां भगवती के पावन नवरात्रे आते है। जिनमें दो गुप्त नवरात्रे होते है और दो बडे नवरात्रे होते है। जो बडे नवरात्रे चैत्र व आश्विन माह में आते है और गुप्त नवरात्रे आषाढ व माघ मास में आते है। वह गुप्त नवरात्रा एक तो आषाढ शुक्ल पक्ष मास मे और दूसरा गुप्त नवरात्रा माघ शुक्ल पक्ष के मास मे आता है। गुप्त नवरात्रों में जो व्यक्ति सच्चे मन श्रृद्धा से मां भगवती की पूजा अर्चना करता है और अखंड ज्योती अपने घर में जगाता है तथा उपवास रखता है उसकी सभी मन्नते पूरी होती है। बताया जाता है कि पावन नवरात्रों में स्वयं मां भगवती अपने भक्तों के कष्ट निवारण के लिए पृथ्वी पर आती है। अब आषाढ का महीना चल रहा है और माता के गुप्त नवरात्रे भी चल रहे है । ये गुप्त नवरात्रे साधना सिद्धि के लिए बहुत उपयुक्त होते है। ये गुप्त नवरात्रे गृहस्थ व्यक्ति को भी इन दिनो मे माँ की पूजा आराधना कर और कुण्डलिनी शक्ति जागाकर क्रियाशील करनी चाहिए । साधना कर साधक शिव-शक्ति रुप मे परमात्मा का दर्शन पाते है। इन दिनो मे साधको के साधन का फल व्यर्थ नही जाता है । माँ अपने भक्तो को उनकी साधना के अनुसार फल देती है। इन नवरात्रों मे दान पुण्य का भी बहुत महत्व होता है।
जय माता की



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